केशकाल में पार्टी की हार का कारण ना तो ३ रु. किलो चावल है और ना ही भाजपाइयों द्वारा स्व-घोषित विकास! इसका एकमात्र कारण जो मुझे समझ में आता है, वह है- छत्तीसगढ़ के एकमात्र सर्वमान्य नेता एवं बेहतर राजनीतिज्ञ माननीय 'श्री अजीत जोगीजी' की अनदेखी करना। केशकाल में जो हुआ वह नि:संदेह निराशाजनक है। अगर यही हाल रहा तो मुझे नही लगता कि अगले विधानसभा चुनावों में हमें किसी बडे बदलाव कि आशा रखनी चाहिऐ। जो नेता खुद चुनाव नही जीत सकते वे 'मुख्यमंत्री' बनने का ख्वाब देख रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा प्रकाशित पोस्टर-पम्फ्लेट में माननीय जोगीजी का फोटो ना होना हमारे कांग्रेसी नेताओं की विचलित मानसिकता को दर्शाता है। केशकाल की जनता द्वारा भाजपा को जीत दिलाना यह दर्शाता है कि कांग्रेसी बडे नेता जो अभी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं, वो माननीय श्री जोगीजी को दौड़ से बाहर रखने के लिए किस हद तक नीचे जा सकते हैं। केशकाल में कांग्रेस पार्टी की हार भाजपा कि जीत नहीं बल्कि कांग्रेसी सोच, संगठन और नेतृत्व कर रहे बडे नेताओं कि हार है। एक ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने को कहना (वह भी जबरदस्ती) जो खुद अपने ग्राम से चुनाव नही जीत सकता, क्या हमारे नेताओं कि गिरी हुई मानसिकता को नही दर्शाता है? क्या हमारे नेताओं का यह कर्तव्य नही बनता कि उस सर्वमान्य व्यक्ति को नेतृत्व सौंपें जो नेतृत्व करने कि क्षमता रखता हो और जिसे हमारी छत्तीसगढ़ कि जनता चाहती हो, ना कि ऐसे व्यक्ति को जो खुद अपने क्षेत्र में भी चुनाव जीतने के काबिल ना हो?
सिर्फ अपने ३ साल के कार्यकाल में ही जिस व्यक्ति ने हमें आगे बढ़ने का एक रास्ता दिखाया और जिसने हमें यह सिखाया कि कम से कम स्रोतों में किस तरह तरक्की कि जाती है, जिस व्यक्ति कि सोच ही कुछ निराली है, जो सोचता है कि अपनी जनता और अपने राज्य के लिए कुछ करूं, जो यह चाहता है कि अपने राज्य का हर नागरिक चैन से रहते हुए उन्नति के सपने देखते हुए प्रगति की राह पर चले, जिसका सपना है कि अपने राज्य का हर विद्यार्थी अपने राज्य में ही उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा ग्रहण करे, जिसका मानना है कि अपने राज्य का हर किसान खुशहाल ज़िंदगी जीते हुए प्रगति करे, जो यह कहता है कि हमारा राज्य पूरे देश में हर क्षेत्र में अग्रणी हो, जो एक सपना देखता है एक विकसित राज्य का, जो सोचता है कि औद्योगीकरण की नीति अपनाकर राज्य में विकास की एक धारा बहाई जाये, जिसकी सोच में एक सपना है... क्या हमारा यह कर्तव्य नही बनता कि उस महान सोच वाले राजनीतिज्ञ 'जोगीजी' को एक मौका और दिया जाये जिससे 'हमारा छत्तीसगढ़' उन्नति के शिखर को चूमते हुए एक विकसित राज्य बने???
अब समय आ गया है जब हम अपनी मानसिकता एवं सोच को बड़ा कर और आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर एक नयी राह अपनाएं जो 'हमारे छत्तीसगढ़' राज्य और प्रदेशवासियों के लिए भी लाभदायक हो। अब हमें आपसी मतभेदों को भूलकर सर्वमान्य नेता 'श्री जोगीजी' को नेतृत्व प्रदान करना चाहिऐ जिससे भाजपा जैसी फस्सिस्त ताकतों से हमारे प्रदेशवासियों को निजात मिल सके और हम फिर से एक 'विकसित राज्य' बनने का सपना देख सकें। इसीमें हम सब कि भलाई है!
आशा है, केशकाल उप-चुनाव कि हार से केन्द्र में बैठे हुए हमारे नेतृत्व को इसकी समझ आ चुकी होगी और एक नई सुबह का ख्वाब संजोये, हमारे भोले-भाले प्रदेशवासियों को फिर से 'माननीय श्री जोगीजी' का कुशल नेतृत्व मिल जाएगा!
इन्ही शुभ कामनाओं के साथ,
रेम्मिश गुप्ता
सनातनी का संकट: विश्वास और राजनीति का टकराव
4 months ago
6 comments:
भाई मेरी राजनीति में ज्यादा रूचि नहीं है पर इतना तो अवश्य है जोगी जी असली छत्तीसगढिया हैं उनकी उपेक्षा कर छत्तीसगढ के उज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती ।
बेसक श्री अजित प्रमोद जोगी छ.ग. के सम्मानिय नेता है. पर लगता है आप अमीत जोगी के पिछलगे छुटभईये है. जो सही स्थिति का आकलन करने के बजाय चमचागिरि कर रहे है.
स्पष्टीकरण:
मैं यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहूँगा कि जो भी टिप्पणी अपने ब्लॉग में मैंने लिखा है वे मेरे अपने विचार हैं जो मैंने स्थिति का सही आंकलन करने के उपरांत ही लिखा है. विचारों कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो उच्चतम न्यायालय और हमारा संविधान भी देता है... और रही बात चमचागिरी करने की तो यहाँ यह स्पष्ट कर देना ही उचित होगा कि मैं बचपन से ही कांग्रेस पार्टी की विचारधाराओं से प्रेरित रहा हूँ और श्री अजीत जोगीजी को अपना प्रेरनाश्रोत मानता हूँ, ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करने के उद्देश्य से न कि किसी राजनीतिज्ञ उद्देश्य से. और अगर उनके बेटे से मेरी मित्रता और अगर उनसे मेरा वैचारिक मिलाप होना चमचागिरी है तो मैं उनका चमचा होना स्वीकार करता हूँ!
गुप्ता जी ये जानकर खुशी हुई कि आप कांग्रेस पार्टी की विचारधाराओं से प्रेरित है. किन्तु आप गांधी जी के विचारधाराओं को शायद नही पढा जिस पर कांग्रेस पार्टी खडी है.
विचारों कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मतलब कुछ भी public domain मे लिखने को नही कह्ते.विचारों कि अभिव्यक्ति से किसी को नीचा दिखना ये मननिय अजित जोगी भी नही चाह्ते. जो आप कर रहे है.
आपने लिखा है कि "एक ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने को कहना (वह भी जबरदस्ती) जो खुद अपने ग्राम से चुनाव नही जीत सकता". लेकिन आपने सत्याता नही जनना चाहि इसे पहले.
मित्रता का परिभाषा भी चमचागिरी नही है. चमचागिरी करके मित्र कहना मित्र को गाली देना है.
"चमचागिरी करके मित्र कहना मित्र को गाली देना है."
भाई, कम से कम आपके विचार पढ़कर इतना तो जरुर समझ में आया की आप भी कांग्रेस पार्टी की विचारधाराओं को मानने वालों में से हैं. पर मैंने वही लिखा जो मुझे उचित लगा और जो मुझे समझ में आया. मैंने बुधसन मरकाम जी का बायो डाटा तो पढ़ नहीं है. जो मुझे पता चला वह मैंने लिख दिया. मैं तो बस यही चाहता हूँ कि कांग्रेस पार्टी के नेता आपसी मतभेदों को भुलाकर वही करें जो पार्टी और जनता के हित में हो.
और आपने जो लिखा है कि 'चमचागिरी कर के मित्र कहना मित्र को गाली देना है', मुझे कुछ समझ में नहीं आया? मैंने कभी चमचागिरी करने कि कोशिश नहीं की. मैंने हमेशा वही किया जो मुझे अच्छा लगा. और अगर मैं कभी श्री अजीत जोगीजी और अमित जोगीजी के बारे में कुछ अच्छा लिखता हूँ या कहता हूँ तो इसमें बुराई क्या है??? अगर मुझे लगता है कि अमित भैया बुद्धिजीवी हैं और पढे लिखे बुद्धिमान राजनीतिज्ञ भी तो इसमें मैं गलत कहाँ से हूँ. ये मेरे अपने विचार हैं जो हो सकता है दूसरो से भिन्न हों (मेरे blog title में मैंने पहले ही यह सूचित कर दिया है).
आपसे मेरी एक गुजारिश है कि आप anonymous स्तातुस छोरकर अपनी असली पहचान दिखायें जिससे यह discusion थोडा constructive हो.
रेम्मिश गुप्ता
गुप्ता जी ऐसे मै राजनीति से नही हु. केवल मेरा ये उद्देश था कि ब्लाग के public domain है किसी के भी बारे मे अपनी राय रखने से पहले सच्चाई जान लेना चाहिये. श्री बुधसन मरकाम मे आपने जो लिखा है उस पर कुछ बताउ आपको.श्री बुधसन मरकाम 1952 से कांग्रेस पार्टी से जुडे है. वे लगभग 15 वर्ष तक ग्राम अडेगा से सरपंच रहे है. अनेक बार जिला सह्कारी बैंक जगदलपुर के प्रतिनिधी रहे है और बहिगांव लैम्पस के अध्यक्ष रहे है. गोड जाति बाहुल्य क्षेत्र मे गोड्वाना समाज के जिला अध्यक्ष एंम संभाग संरक्षक रहे है.
Post a Comment